राष्ट्रीय राजमार्ग: विभिन्न योजनाकालों के दौरान, लिंक मार्गों, पुलों एवं पुलियाओं का निर्माण किया गया, जबकि कमजोर विस्तारों, पुलों एवं पुलियाओं की मरम्मत एवं उन्नत किया गया। भारी भीड़-भाड़ वाले मागों को दो और चार लेन का किया गया। सघन कस्बों के साथ-साथ बाई-पास का निर्माण किया गया। राजमार्गों पर कई स्थानों में पैदलपथ की व्यवस्था प्रदान की गई।
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी), देश की अब तक सबसे बड़ी राजमार्ग परियोजना है। इस परियोजना का क्रियान्वयन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एन.एच.ए.आई.) द्वारा किया जा रहा है। लगभग 14000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों को 4/6 लेन बनाने की परिकल्पना की गई है। इस परियोजना के विभिन्न चरणों की गतिविधियां निम्नलिखित हैं:
- चरण I: चार महानगरों-दिल्ली, मुंम्बई, चेन्नई और कोलकाता को 5846 किलोमीटर लंबे राजमार्ग से जोड़ने वाली योजना स्वर्णिम चतुर्भुज 1 फरवरी, 2011 तक 4 लेन वाली परियोजना का कार्य लगभग पूरा हो गया था।
स्वर्णिम चतुर्भुज में केवल राष्ट्रीय राजमार्गों का प्रयोग किया गया है। निम्नलिखित राष्ट्रीय राजमार्गों में 4 लेन का प्रयोग किया गया है. दिल्ली-कोलकाताः एन.एच 2; दिल्ली-मुम्बईः एन.एच. 8, एनएच 79A (अजेमर बाइपास), एनएच 79 (नसीराबाद-चित्तौड़गढ़), एनएच 76 (चित्तौड़गढ़-उदयपुर), एनएच 8 (उदयपुर-मुंबई); मुंबई-चेन्नईः एनएच 4 (मुंबई-बंगलुरु), एनएच 7 (बंगलुरू-कृष्णागिरी), एनएच 46 (कृष्णागिरी-रानीपेट), एनएच 4 (रानीपेट-चेन्नई); कोलकाता-चेन्नईः एनएच 60 (कोलकाता-खड़गपुर), एनएच 60 (खड़गपुर-बालासोर), एनएच5 (बालासोर-चेन्नई)।
सम्पूर्ण स्वर्णिम चतुर्भुज भारत के 13 राज्यों से होकर गुजरेगी: आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, झारखण्ड, हरियाणा और दिल्ली।
- चरण II: उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर (NS-EW 7,142 किलोमीटर) जो क्रमशः उत्तर में श्रीनगर को दक्षिण में कन्याकुमारी से, जिसमें सालेम से कन्याकुमारी तक का पर्वत प्रक्षिप्त प्रदेश भी शामिल है, को जोड़ता है (वाया कोयम्बटूर और कोच्चि) तथा पूर्व में सिल्चर को पश्चिम में पोरबंदर से जोड़ता है।
- चरण III: महापत्तनों, राज्यों की राजधानियों, प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले अत्यधिक यातायात वाले 1,342 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्गों को 4/6 लेन वाला बनाना।
- चरण IV: इसमें बीओटी टोल और बीओटी टोल फ्री के विस्तार के साथ-साथ 20,000 किलोमीटर लम्बी एकल/मध्यम/दो लेन वाली राष्ट्रीय राजमार्गों का आधुनिकीकरण/मजबूतीकरण शामिल है।
- चरण V: इसमें 6500 किमी. के राष्ट्रीय राजमार्ग को 6 लेन वाला बनाने की परियोजना शामिल है। इसमें स्वर्णिमचतुर्भुज का 5700 किमी. और अन्य राजमार्गों का 800 किलोमीटर हिस्सा शामिल है।
- चरण VI: इसमें 1000 किलोमीटर लम्बे एक्सप्रेस-वे की संरचना की परियोजना शामिल है।
- चरण VII: इस चरण में 700 किलोमीटर लंबे रिंग रोड और बाइपास के अतिरिक्त पुल, एलीवेटेड रोड, सुरंग, पारपथ इत्यादि का निर्माण शामिल है।
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के समयबद्ध पूरा करने में आने वाली बाधाओं में शामिल हैं:
- भूमि अधिग्रहण और ढांचे को हटाने मे होने वाला विलम्ब
- कुछ राज्यों में कानून व्यवस्था संबंधी परेशानियां
- कुछ ठेकेदारों का कमजोर निष्पादन।
राज्य राजमार्ग: इस क्षेत्र में, मेट्रोपॉलिटन शहरों, पिछड़े एवं पहाड़ी क्षेत्रों, और औद्योगिक एवं खनन केंद्रों पर बल दिया गया। हालांकि राज्य सड़कें जिसमें जिला और ग्रामीण सड़कें भी शामिल हैं, राज्य की जिम्मेदारी हैं, लेकिन केंद्र सरकार अपने केंद्रीय सड़क कोष से इन्हें घन मुहैया कराती है।
ग्रामीण सड़कें: ग्रामीण सड़कों द्वारा गांव को जोड़ने का उद्देश्यन केवल देश के ग्रामीण विकास में सहायक है, अपितु इसे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम में एक प्रभावी घटक स्वीकार किया गया है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु 25 दिसम्बर, 2000 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रारंभ की गई। इस योजना का वित्तीयन केंद्रीय सड़क निधि से अप्रैल 2000 से डीजल पर लगाए गए उपकर की धनराशि के 50 प्रतिशत भाग द्वारा किया जाता है। इस राशि को ग्रामीण सड़क मंत्रालय को प्रदान किया जाता है।
योजना के प्रथम चरण में 1000 से अधिक आबादी वाले गांवों को अच्छी बारहमासी सड़कों से जोड़ने की योजना है। दूसरे चरण में 500 से अधिक आबादी वाले गांवों को अच्छी बारहमासी सड़कों से जोड़ने की योजना है। पहाड़ी राज्यों (पूर्वोत्तर, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और उत्तराखण्ड) तथा रेगिस्तानी एवं जनजातीय क्षेत्रों (अनुसूची-v) में 250 या इससे अधिक आबादी वाले गांवों को सड़कों से जोड़ा जाएगा।
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