भारत सरकार द्वारा
सड़क विकास हेतु बनायी गयी नागपुर योजना (1944-54) के अंतर्गत पहली बार सड़कों को चार वगों में विभाजित किया गया। ये वर्ग हैं- राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय राजमार्ग, जिला सड़कें और ग्रामीण सड़कें।
राष्ट्रीय राजमार्ग: ये राजमार्ग देश की चौड़ाई एवं लंबाई के अनुसार बिछाये गये हैं। ये राज्यों की राजधानियों, बंदरगाहों, औद्योगिक व खनन क्षेत्रों तथा राष्ट्रीय महत्व के शहरों एवं कस्बों को जोड़ते हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई लगभग 82,621 किलोमीटर है। देश की कुल सड़क लम्बाई में राष्ट्रीय राजमार्ग मात्र 1.7 प्रतिशत में विस्तृत हैं, परंतु इन मागों के द्वारा 40 प्रतिशत सड़क यातायात की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इन राजमार्गों की देखभाल केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा की जाती है।
प्रांतीय राजमार्ग: ये एक राज्य के भीतर व्यापारिक एवं सवारी यातायात के मुख्य आधार होते हैं। ये राज्य के प्रत्येक कस्बे को राज्य की राजधानी, सभी जिला मुख्यालयों, राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से संलग्न क्षेत्रों के साथ जोड़ते हैं। इन राजमागों का निर्माण व रख-रखाव करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है।
जिला सड़कें: ये सड़कें बड़े गांवों एवं कस्बों को एक-दूसरे से तथा जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। ये अधिकांशतया कच्ची होती हैं। इनका निर्माण एवं रख-रखाव जिला परिषदों या सम्बंधित सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है।
ग्रामीण सड़कें: ये सड़कें गांवों को जिला सड़कों से जोड़ती हैं। ये सड़कें प्रायः कच्ची, संकरी तथा भारी वाहन यातायात के अनुपयुक्त होती हैं। इनका निर्माण एवं रख-रखाव ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है।
इन चारों के अतिरिक्त, सड़कों के तीन और अन्य प्रकार हैं- सीमा सड़कें, अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग और द्रुत राजमार्ग।
सीमा सड़कें: 1960 में सीमा सड़क विकास बोर्ड की स्थापना की गयी, जिसका उद्देश्य अल्पविकसित जंगली, पर्वतीय एवं मरुस्थलीय सीमा क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति देना था। एक अन्य उद्देश्य रक्षा सैनिकों के लिए अनिवार्य आपूर्ति को बनाये रखना भी था। सीमा सड़क संगठन एक कार्यकारी विभाग है, जो हिमालय तथा पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाकों एवं राजस्थान के मरुस्थलीय भागों में सड़कों का निर्माण तथा रख-रखाव करता है। वर्तमान में, बीआरओ द्वारा बंदरगाहों एवं हैलीपैडों का निर्माण भी किया जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं स्थायी पुल निर्माण कार्यों के अतिरिक्त सीमा सड़क संगठन ने बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कई सड़कों से ग्रीष्म एवं शीत दोनों ही मौसम में बर्फ हटाने एवं साफ करने का प्रशंसनीय कार्य भी किया।
अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग: ये राजमार्ग विश्व बैंक की सहायता से, एशिया-प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (इस्केप) के साथ किये गये समझौते के अधीन बनाये गये हैं। इनका उद्देश्य भारत की महत्वपूर्ण सड़कों को पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार तथा बांग्लादेश) के साथ जोड़ना है।
द्रुत राजमार्ग: इन राजमार्गों का निर्माण देश में यातायात के त्वरित संचलन हेतु किया गया है। यह प्रायः कंक्रीट के बने हुए कई लेन वाले राजमार्ग हैं और कुछ मामलों में मानव और जानवरों को सड़क के बीच आने से रोकने के लिए बाड़ लगाते हैं। वर्तमान में 23 एक्सप्रेस-वे हैं तथा 17 निर्माणाधीन हैं।
कुछ एक्सप्रेस-वे हैं: मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे; पश्चिमी एक्सप्रेस-वे, जो मुंबई में है; पूर्वी एक्सप्रेस-वे, जो एन.एच.-3 का एक भाग और मुंबई में है; अहमदाबाद-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे, को राष्ट्रीय एक्सप्रेस-वे 1 (भारत) के नाम से जानते हैं, दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे (आठ लेन सड़क जो स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का एक भाग है); दुर्गापुर एक्सप्रेस-वे (कोलकाता और दुर्गापुर के मध्य है), तथा यमुना एक्सप्रेस-वे।
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सड़क विकास हेतु बनायी गयी नागपुर योजना (1944-54) के अंतर्गत पहली बार सड़कों को चार वगों में विभाजित किया गया। ये वर्ग हैं- राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रांतीय राजमार्ग, जिला सड़कें और ग्रामीण सड़कें।
राष्ट्रीय राजमार्ग: ये राजमार्ग देश की चौड़ाई एवं लंबाई के अनुसार बिछाये गये हैं। ये राज्यों की राजधानियों, बंदरगाहों, औद्योगिक व खनन क्षेत्रों तथा राष्ट्रीय महत्व के शहरों एवं कस्बों को जोड़ते हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लम्बाई लगभग 82,621 किलोमीटर है। देश की कुल सड़क लम्बाई में राष्ट्रीय राजमार्ग मात्र 1.7 प्रतिशत में विस्तृत हैं, परंतु इन मागों के द्वारा 40 प्रतिशत सड़क यातायात की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है। इन राजमार्गों की देखभाल केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा की जाती है।
प्रांतीय राजमार्ग: ये एक राज्य के भीतर व्यापारिक एवं सवारी यातायात के मुख्य आधार होते हैं। ये राज्य के प्रत्येक कस्बे को राज्य की राजधानी, सभी जिला मुख्यालयों, राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों तथा राष्ट्रीय राजमार्ग से संलग्न क्षेत्रों के साथ जोड़ते हैं। इन राजमागों का निर्माण व रख-रखाव करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी होती है।
जिला सड़कें: ये सड़कें बड़े गांवों एवं कस्बों को एक-दूसरे से तथा जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। ये अधिकांशतया कच्ची होती हैं। इनका निर्माण एवं रख-रखाव जिला परिषदों या सम्बंधित सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा किया जाता है।
ग्रामीण सड़कें: ये सड़कें गांवों को जिला सड़कों से जोड़ती हैं। ये सड़कें प्रायः कच्ची, संकरी तथा भारी वाहन यातायात के अनुपयुक्त होती हैं। इनका निर्माण एवं रख-रखाव ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाता है।
इन चारों के अतिरिक्त, सड़कों के तीन और अन्य प्रकार हैं- सीमा सड़कें, अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग और द्रुत राजमार्ग।
सीमा सड़कें: 1960 में सीमा सड़क विकास बोर्ड की स्थापना की गयी, जिसका उद्देश्य अल्पविकसित जंगली, पर्वतीय एवं मरुस्थलीय सीमा क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति देना था। एक अन्य उद्देश्य रक्षा सैनिकों के लिए अनिवार्य आपूर्ति को बनाये रखना भी था। सीमा सड़क संगठन एक कार्यकारी विभाग है, जो हिमालय तथा पूर्वोत्तर के पहाड़ी इलाकों एवं राजस्थान के मरुस्थलीय भागों में सड़कों का निर्माण तथा रख-रखाव करता है। वर्तमान में, बीआरओ द्वारा बंदरगाहों एवं हैलीपैडों का निर्माण भी किया जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गों एवं स्थायी पुल निर्माण कार्यों के अतिरिक्त सीमा सड़क संगठन ने बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कई सड़कों से ग्रीष्म एवं शीत दोनों ही मौसम में बर्फ हटाने एवं साफ करने का प्रशंसनीय कार्य भी किया।
अंतरराष्ट्रीय राजमार्ग: ये राजमार्ग विश्व बैंक की सहायता से, एशिया-प्रशांत आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (इस्केप) के साथ किये गये समझौते के अधीन बनाये गये हैं। इनका उद्देश्य भारत की महत्वपूर्ण सड़कों को पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार तथा बांग्लादेश) के साथ जोड़ना है।
द्रुत राजमार्ग: इन राजमार्गों का निर्माण देश में यातायात के त्वरित संचलन हेतु किया गया है। यह प्रायः कंक्रीट के बने हुए कई लेन वाले राजमार्ग हैं और कुछ मामलों में मानव और जानवरों को सड़क के बीच आने से रोकने के लिए बाड़ लगाते हैं। वर्तमान में 23 एक्सप्रेस-वे हैं तथा 17 निर्माणाधीन हैं।
कुछ एक्सप्रेस-वे हैं: मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे; पश्चिमी एक्सप्रेस-वे, जो मुंबई में है; पूर्वी एक्सप्रेस-वे, जो एन.एच.-3 का एक भाग और मुंबई में है; अहमदाबाद-वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे, को राष्ट्रीय एक्सप्रेस-वे 1 (भारत) के नाम से जानते हैं, दिल्ली-गुड़गांव एक्सप्रेस-वे (आठ लेन सड़क जो स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना का एक भाग है); दुर्गापुर एक्सप्रेस-वे (कोलकाता और दुर्गापुर के मध्य है), तथा यमुना एक्सप्रेस-वे।
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