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Tuesday, 9 May 2017

महाराणा प्रताप जी, महान योद्धा और वीर शिरोमणी का जन्म 9 मई, 1540

  • महाराणा प्रताप जी की 476वीं जयंती: सिर्फ 20000 सैनिक लेकर अकबर के 85000 सैनिको से राणा ने संग्राम किया था।

महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लंबाई 7’5 फीट थी। 
महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 को हुआ था. हिन्दू पंचांग विक्रम सम्वत के अनुसार उनकी जयंती प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. कहा जाता है कि महाराणा प्रताण एक ऐसे योद्वा थे जिन्‍हें मुगलों के आगे झुकना मंजूर नहीं था. आइए जानते हैं महाराणा प्रताप के बारे में कुछ खास बातें.
  • महाराणा प्रताप का जन्म राजस्थान के मेवाड़ में कुम्भलगढ़ में सिसोदिया राजवंश के महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर हुआ था. महाराणा प्रताप ने कभी किसी अधीनता स्वीकार नहीं की. उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है.
  • इतिहास की मानें तो महाराणा प्रताप को बचपन में कीका कहा जाता था. इतना ही नहीं ये भी कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में 11 शादियां की थीं.
  • हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच 18 जून, 1576 ई. को लड़ा गया था. माना जाता है कि महाराणा प्रताप और अकबर के बीच यह युद्ध महाभारत युद्ध की तरह विनाशकारी सिद्ध हुआ था. हालांकि इस युद्ध में न महाराणा प्रताप की हार हुई और न ही अकबर जीत सका.
  • कहा जाता है कि अकबर की ताकत को देखने के बावजूद महाराणा प्रताप उनके आगे झुकने को तैयार नहीं थे. अकबर ने कई बार अपने दूत भेजकर मेवाड़ को अपनी रियासत में मिलाने की कोशिश की.
  • महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था, जो काफी तेज दौड़ता था. अपने राजा को बचाने के लिए वह 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया था.
  • महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का एक मंदिर भी बना है जो आज भी हल्दी घटी में सुरक्षित है.
  • महाराणा प्रताप की तलवार, कवच उदयपुर राज घराने के मियुजियम में आज भी सुरक्षित रखी हुई हैं.
  • महाराणा प्रताप के जीवन और हल्दीघाटी संग्राम के बारें में हमने किताबों में खूब पढ़ा है। महाराणा प्रताप की ताकत का अंदाजा बस इसी बात से लगाया जा सकता था है की उन्होंने कभी अपने दुश्मनों के आगे सर को नही झुकाया। आज महाराणा प्रताप की 476वीं जयंती है। लेकिन क्या आप जानतें हैं सोलहवीं शताब्दी के राजपूत शासकों में महाराणा प्रताप ऐसे शासक थे, जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे। अकबर ने कई बार महाराणा प्रताप को अपने साथ आने का न्योता देता रहा लेकिन महाराणा प्रताप ने उसकी गुलामी को स्वीकार नही किया।
    जब महाराणा प्रताप का जन्म हुआ, तब दिल्ली के तख़्त पर बादशाह अकबर का शासन था और उसकी रणनीति थी कि वह सभी राजा-महाराजाओं को अपने आधीन कर राजस्थान पर मुगल साम्राज्य का ध्वज फहराना चाहता था। वहीँ मेवाड़ को मुगलों के आतंक से बचाने के लिए महाराणा प्रताप ने यह प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक मेवाड़ आजाद नहीं होगा, वे महलों को छोड़ जंगलों में रहूंगा। और इसीलिए महाराणा प्रताप ने इस गुफा को अपना शस्त्रागार बनाने के लिए चुना था। 
    महाराणा प्रताप ने सोने चांदी और महलो को छोड़ वो 20 साल मेवाड़ के जंगलो में रहें और वहां ख़ास की रोटी खाते थे लेकिन अकबर के आगे झुके नही। अकबर ने एक बार कहा था की अगर महाराणा प्रताप और जयमल मेड़तिया मेरे साथ होते तो हम विश्व विजेता बन जाते। जब महाराणा प्रताप के देहांत की खबर अकबर ने सुना तो उनकी बहादुरी को याद कर के वो भी रो पड़ा था।
    महाराणा प्रताप से जुडी 5 महत्वपूर्ण जानकरी :
    1 - आप जानतें हैं महाराणा प्रताप के भाले का वजन 80 किलो था और कवच का वजन 80 किलो था और कवच भाला,कवच,ढाल,औरहाथ मे तलवार का वजन मिलाये तो 207 किलो।
    2 - महाराणा प्रताप का वजन 110 किलो और लंबाई 7’5 फीट थी, महाराणा प्रताप कि तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रालय में सुरक्षित है।
    3 - अकबर ने राणा प्रताप को कहा था की अगर तुम हमारे आगे झुकते हो तो आधा भारत आप का रहेगा, लेकिन महाराणा प्रताप ने कहा मर जाऊँगा लेकिन मुगलों के आगे सर नही नीचा करूंगा।
    4 - अकबर ने अपने 85000 सैनिक लेकर राणा प्रताप से लड़ाई लड़ने आया था जब की राणा प्रताप के पास सिर्फ 20,000 सैनिक थे।
    5 - आज हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहां की जमीनो में तलवारे पायी जाती हैं।

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