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Sunday, 5 April 2020

न जानें क्यों...


आज के परिपेक्ष्य में कोरोना पर नई रचना...

हर बार अंधेरों ने उजालों को डराए रखा ह,
चारों तरफ कोरोना ने कहर मचाए रखा ह।

आओ एक संकल्प का दिया हम भी जलाएं,
कोरोना के संक्रमण से सभी देशवासियों को बचाएं,
घर में ही रहकर जीवन को सुरक्षित बनाए रखा है,
बस सुरक्षा नियमों को तोड़ने वालों ने न जाने क्यों सताए रखा है।

तन मन धन से सहयोग करने वाले भामाशाहों को नमन,
पुलिस डॉक्टर सफाई कर्मी मास्टर जैसे योद्धाओं का वंदन,
संकटमोचक कर्मचारी प्रशासन अधिकारी नेता सेवादारों का अभिनंदन,
पर मानवता के गद्दारों ने समाज में न जाने क्यों ग़दर मचाए रखा है।

कोरोना के खौफ के साए में जी रही है दुनिया सारी,
किसी ने मानवता के खिलाफ साजिश रचाई रखी है,
पर सरकारों ने भी लॉकडाउन व धारा 144 लगाए रखा है,
पर मीडिया ने न जाने क्यों आसमान सर पर  उठाए रखा है।

कुछ मूर्खों की नासमझी ने नियमों की धज्जियां उड़ाई रखी ह,
धर्म को मत धकेलो इस कंटक राह में पाखंडी ठेकेदारों,
कुछ दिन ह संकट के शायद पर राष्ट्र ने होंसला बनाए रखा ह,
पर कुछ लापरवाह लोगों ने न जाने क्यों कोहराम मचाए रखा ह।

एक स्वस्थ राष्ट्र की उम्मीद का दिया जलाए रखा है अंधेरी रातों में,
शर्त हवाओं से लगाई थी हमने तो कुदरत ने तूफान मचाए रखा है,
पार पा भी लेंगे कोरोना संकट में एकता एवं अनुशासन से,
पर कुछ सिरफिरे स्वार्थी भ्रष्ट लोगों ने न जाने क्यों हाय- तौबा मचाए रखा है।

सतर्क रहें, जागरूक रहे, घर में रहें, साफ सफाई रखें, प्रशासन के आदेशों का पालन करें।

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